भजन करुं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम...... - ZorbaBooks

भजन करुं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम……

भजन करूं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम।

कौसल्या के लाल धनुर्धर, जगत हितकारी।

प्रभु चरण की सेवा में, मन रमा रहे अवध बिहारी।

तेरा बस हो जाऊँ, राघव जाऊँ तेरो रुप बलिहारी।

हे दशरथ के लाल’ प्रभु चरणों में करुं प्रणाम।।

तेरी महिमा गाये वेद’ श्रुतियों ने स्तुति गाए।

हे असुर निंकंदन रमापति, प्रभु दुःख भंजन।

कर लिए धनुष हे राम, जगत करें तेरा वंदन।

हे राम रमापति नाथ, तेरी महिमा बरनी न जाए।

भक्त हृदय में मंदिर तेरा, आप नाथ सुखधाम।।

हे राम जगत के तारने बाले, विनती तुम्हें सुनाऊँ।

हे रघुनंदन रघुकुल भूषण, किस विधि तुम्हें मनाऊँ।

प्रभु आप जगत के स्वामी राघव, मैं दास हो जाऊँ।

मन मंदिर में आप बसो, मैं छिन-छिन भोग लगाऊँ।

तेरा नाम सुख राशि रुप, गाऊँ नित आठों-याम।।

हे सुख के सागर कौशलेंद्र’ दया दृष्टि से देखो।

मोह हृदय की हर लो स्वामी, चरण की सेवा दे दो।

विनती सुनना राघव सरकार, मन जाऊँ किसके द्वार।

भाव हृदय के देख रीझते, प्रभु आप हो प्राणाधार।

मन चरणों में रमा रहूं, राघव आप हो पूरण काम।।

भजन तेरा करुं, हृदय में भक्ति के भाव जगा दो।

निज सेवक के हित करने बाले, सोए भाग्य जगा दो।

प्रभु आप हो राम रमापति’ चरणों का दास बना दो।

मन तुममें ही रमा रहूं, अपनी कृपा नाथ बरसा दो।

हे कौशलेंद्र- विराट रुप, स्वामी देना भक्ति का वरदान।।


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