मनवा तू समाई है ऐसो
मनवा तू समाई है ऐसे, पिया जिया घबड़ाए अजी तू नैन मिलाए ना।
आया इश्क का मौसम भीगा-भीगा, मनवा चाहत की लहर उठे।।
कहना जिया तुमको ,सुन ले बैरी पिया तुमको ,धड़क जाए जिया मेरा।
तू मतवाली नारी मोहे मिलने ना आई, मन मेरे चाहत की लहर उठे।।
तू बैरन अजी हां, अदाएँ तेरी कातिल हो गई है, जाने कैसे खो गई है।
मतवाला जिया मैं तेरा पागल पिया, मन मेरे चाहत की लहर उठे।।
तू समझे ना बालम रे, वो बलमा ,बैरन रे कहूं कैसे तू मोहे समझे ना।
पिया नैन मिलाई प्रीति में, रामा दुहाई, मन मेरे चाहत की लहर उठे।।
तू जान लेना सही मुश्किलें बढने लगी है, एहसास है कि कहने लगी है।
तेरे यौवन की पुरवाई लहर-लहर चले, मन मेरे चाहत की लहर उठे।।
अब के वर्ष पिया तू प्रीति लगा ले, मैं तेरा हूं अजी तू अपना बना ले।
तू जाने नहीं बैरन रे मैं चाहत में हूं तेरे, मन मेरे चाहत की लहर उठे।।
चाहत में हठ तेरा कैसा री भोली, पास भी आजा वो संवर सलोनी।
तू पिया मेरे जिया को मेरे जलाया ऐसे, मन मेरे चाहत की लहर उठे।।
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