हे रघुनाथ, दास तुम्हारा हूं....... - ZorbaBooks

हे रघुनाथ, दास तुम्हारा हूं…….

हे रघुनाथ, दास तुम्हारा हूं,

हे असुर निंकंदन राम हमारे’

रघुकुल भूषण श्री राघव प्यारे’

आओ हे राम, तुम्हें पुकारा हूं।।२

चाकरी, चाहूं चरणन की सेवा’

सुन लेना विनती अब रघुनाथ’

हे राघव’ कौसल्या राज दुलारे’

आओ हे सुखधाम, तुम्हें पुकारा हूं।।२

स्वामी अवधेश, हो भगत हितकारी’

श्री चरणों में लगी, अरज हमारी’

सीता के प्रभु जीवन धन प्यारे’

आओ श्री अवधेश, तुम्हें पुकारा हूं।।२

तुम मेरे अपने हो, बाकी है सब सपना’

जग माया ज्वाला सी, कोई नहीं है अपना’

हे राम’ मन ही रमा रहूं चरणों के सहारे’

आओ हे रघुनाथ, तुम्हें पुकारा हूं।।२

मन चिंता को मिटा दो रघुवर मेरे’

हूं दास’ कब से द्वार खड़ा प्रभु तेरे’

सेवा में रखना सरकार, जगे भाग्य हमारे’

आओ अब सरकार, तुम्हें पुकारा हूं।।

राघव, मुख में नाम ध्वनि बन बस लो’

श्री चरणों में रघुनाथ, चाकरी रख लो’

याचक मन मेरा, प्रभु को नजर निहारे’

आओ हे सीता पति नाथ, तुम्हें पुकारा हूं।।२


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