चैन से आज तो मुझे सो लेने दे, - ZorbaBooks

चैन से आज तो मुझे सो लेने दे,

चैन से आज तो मुझे सो लेने दे ,

मिठी मिठी एहसासों मे खो लेने दे ,

तुम तो मधुर सी लोंङिया सुनाना ,

मुझे ख्वाबों के पंख पर सवार हो लेने दे ,

मैंने यु ही गुजारे है पल बेचैनियों में ,

आज जीवन का आभाश हो लेने दे ।।

मैंने बैचैनियों में खोया है खुद को ,

और खूद से ही बेजार रोया हूं ,

तुने देखा है इस तरह मुद्धतो से मुझे ,

थका तो हूं , कब से नहीं सोया हूं ,

लेकिन आज तो उनिंदी आँखे और है सपने ,

कि हकीकतो से मुझे दो चार हो लेने दे ।।

समझना हैं तुम्हे , अंजान ना बन ,

मेरी हसरतो से’ इस कदर हैरान ना बन ,

इन चाहतो के लिए बदनाम ना बन ,

कि कहता हूं , तुम इसलिए गुमनाम ना बन,

मेरी कितनी ही रातें यूं ही कट गई है ,

आज मान जा , फिर से गुलजार हो लेने दे ।।

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मदन मोहन'मैत्रेय'