तु निकल
“तू निकल”
तू निकल, तेरे वक्त को ए बता के संभल,
जज्बातों के भवर से तू संभल,
वक्त के तकाजोंसे तू निकल।
मत ढूंढ राहत को अगल-बगल,
राहत खुद आएगी पास, मत मचल,
हौसला तू खुदका है, तू संभल
वक्त के तकाजों से तू निकल।
ना मिलेगी मंजिल तुझे ,
दूसरों के कदमो से, तू खुद चल,
गैरो के चाल से तू संभल,
वक्त के तकाजों से तू निकल।
तब वक्त तेरा होगा, जब फैसले तेरे होंगे,
दौर तेरा आएगा, जब तू तेरा होगा,
अपने आप से मिलने तू निकल,
तेरे वक्त को ए बता के संभल।
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