Khubsurati
ख़ूबसूरती का बयान आसान नहीं
तारीफ़ भरे लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं ।।
कोई सूरत में देखे तो कोई मूर्त में
कोई शब्दों में देखे तो कोई जज़्बातों में।।
कोई करमों में देखे तो कोई रूह में
कोई ख़ुद में देखे तो कोई दूसरों में।।
तराज़ू में तोलोगे तो पैमाने नहीं मिलेंगे
नज़रों से नापोगे तो अक्ष नहीं दिखेंगे ।।
आँखों से देखी शायद सच्ची ना हो
रूह से परखी कभी झूठी ना हो।।
बदलता नज़रिया बदलती परिभाषा है
अगर सच्ची है तो होती सबसे साँझा है…।।
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