Writer: shirikaagarwal.gudia

ख़ूबसूरती का बयान आसान नहीं तारीफ़ भरे लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं ।।   कोई सूरत में देखे तो कोई मूर्त में कोई शब्दों में देखे तो कोई जज़्बातों में।।   कोई करमों में देखे तो कोई रूह में
देते है पंख मुझे  पर पुछो क्या मैं आज़ाद हूँ !!   कही रिवाजों की बेड़ियाँ  कही समाज से आघात हूँ  कभी कोई दरिंदा नोचने को तो कहीं किसी के लिए अभिशाप हूँ।