Geeta Kavya

Geeta Kavya Madhuri गीता काव्य माधुरी

by डॉ. राजीव कृष्ण सक्सेना / Dr Rajiv Saxena

249.00

E-Book Price ₹99 / $3.99

ISBN 978-93-5896-136-2
Languages Hindi
Pages 144
Cover Paperback
E-Book Available

Description

गीता सभी पढ़ना चाहते हैं पर संस्कृत के विद्वान तो सभी हैं नहीं । वैसे तो हिंदी में कितनी ही टीकाएं हैं, जिन्हें पढ़ा जा सकता है, परंतु कविता पढ़ने में जो आनंद है, वह गद्य पढ़ने में कहां? फिर पद्य गाए भी जा सकते हैं और याद भी अतिशीघ्र हो जाते हैं। गीता काव्य-माधुरी में गीता के सभी 700 मूल संस्कृत श्लोकों का हिन्दी श्लोकों में पद्यानुवाद है। एक-एक श्लोक का एक-एक पद्य है और सभी पद्य आठ मात्राओं की ताल में नपे-तुले हैं, ढले हैं । इसीलिए पढ़ने और गाने में अत्यंत मनोरम हैं । डॉ. राजीव कृष्ण सक्सेना के इस पद्यानुवाद को पढ़िए और आनंद उठाइए। अपने विचार हमें अवश्य लिख भेजिएगा ।

मैं ही प्रेरक और शरण हूँ, जनक मित्र स्वामी और भर्ता ।
मैं ही धर्ता हूँ दृष्टा हूँ, प्रलय, अमर उत्पादक जग का ।।

पार्थ तपाता हूं मैं भू को, वर्षा को मैं ही बरसाता ।
असत और सत मुझमें, मैं ही जीवन और मरण का दाता ।।

लेखक का परिचय:

डॉ. राजीव कृष्ण सक्सेना व्यवसाय से एक जीव वैज्ञानिक हैं, शोधकर्ता हैं, जो कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में प्रोफैसर, संकायाध्यक्ष एवं प्रो वाइस चाँसलर रह चुके हैं । बाद में वे सार्क देशों की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में प्रोफैसर, संकायाध्यक्ष एवं वाइस-प्रेसीडेंट भी रहे । आध्यात्म में गहरी रुचि है और घूमने फिरने में भी। श्रीमद्भगवद् गीता का हिन्दी श्लोकों में पद्यानुवाद “गीता काव्य-माधुरी”, अमरीका प्रवास के समय हुआ । हिंदी काव्य और लेखन की प्रेरणा माँ (डॉ. वीरबाला) और मामा (डॉ. धर्मवीर भारती) से मिली।

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