क्या समझ रखा है..! - ZorbaBooks

क्या समझ रखा है..!

                  क्या समझ रखा है ? 

 

हमें सब लोगों ने जाने क्या – क्या समझ रखा है!

कुछ ने मिट्टी और रेत की दीवार समझ रखा है!

 

किसी के लिये अच्छे किसी के लिये मतलबी हैं!

जो जितने पानी में हैं उसने वैसा समझ रखा है!

 

सब की ख्वाहिशो के लिये सौ बार टूट जाऊ ..!

मैं वो नासमझ तारा नहीं जितना समझ रखा है!

 

हम तो किरदार भी कपड़ो की तरह पहनते हैं!

तुमने तो कपड़ो को ही किरदार समझ रखा है!

 

थक गया मैं खुद को सही साबित करते करते!

तुने खुद को सही हमको गलत समझ रखा है!

 

कल फ़कीर भी मेरी आँखों में झांक कर बोला!

बच कर चल उन से ज़िन्हे यार समझ रखा है!

 

घर से तो निकले थे बस खुशियो को तलाशने!

किस्मत ने ता-उम्र का मुसाफिर समझ रखा है!

 

                                 @Ak

 

 


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Rahul kiran
Bihar