दिल तो दे दिया, अब जान भी लोगे क्या.❓
दिल तो दे दिया ..
अब जान भी लोगें क्या.?
तुम्हें देखे बिना तो, न ही मेरी
सुबह होती है, न ही होती है शाम..!
क्या तुम्हारा दिल भी इस तरह
बेकरार होता है क्या.?
तुम से बात किये बिना तो मेरा
खाना भी हजम नहीं होता.. !
क्या तुम्हें भी इस तरह का
ऐहसास होता है क्या❓
दिल तो दे दिया कब का
अब जान भी लोगे क्या ❓
दिन का सुकूँ.. रात का चैन
सब लूट गया है मानों..!
क्या तुम भी इस तरह बेकरार
होते हो क्या❓
हर बार तुम ही रूठते हो मैं
मनाता हूँ कभी मैं रूठ जाऊँ तो
तुम मना पाओगे क्या❓
दिल तो दे दिया कब का
अब बच्चे की जान लोगे क्या❓
अब सुबह होते ही सबसे पहले तुम्हारी
याद आती है ..!
क्या मैं भी इसी तरह तुम्हें हर सुबह याद आता
हूँ क्या ❓
मैं थोड़ा जिद्दी, हठी हूँ
क्या मेरी जिद्द और हठ को मान पाओगें क्या❓
मैं तो हर बात तेरी मानता हूँ
क्या तुम कभी मेरी बात मान पाओगे क्या ❓
दिल तो दे दिया कब का अब जान भी लोगे क्या..?
आओ मिलें तो कुछ बात हो चाय पर
हो कोई हम से सिकवे गिले उसका पता तो चले
हर बार मैं ही अपने जज्बात कह पाऊंगा क्या❓
दिल तो दे दिया कब का अब
जान भी लोगे क्या ❓
भला किसको बिना गलती के भी सजा मिलती है
जो तुम मुझे देते हो ..!
क्या बिना गलती के भी सजा देना अच्छी बात है क्या ❓
इतना हक तो मैंने किसी को दी नहीं अभी तक
जितना हक तुम मुझ पर जताते हो . .!
अब बात आन पड़ी है स्वाभिमान की
हर बार अपना ही अपमान सह पाऊंगा क्या ❓
दिल तो दे दिया कब का अब
जान भी लोगे क्या..❓
पता नहीं तुम मेरी इन सब बातों से
कितना इतेफाक रखते हो
पर मैं तेरी हर बात से इतेफाक रखता हूँ
ऐसा ही है मेरा प्यार…!
Discover more from ZorbaBooks
Subscribe to get the latest posts sent to your email.