प्यारा एहसास
प्यारा एहसास….
ये विरान – सी रातें और ये तन्हाई
खामोंशी में तेरी याद चुपके से चली आई ,
यादों में डूबी तो पलक़े बंद हो आई
खुली जो पलके तो तुम्हें कही नहीं पाई ,
रखा दिल पर हाथ और ली गहरी साँस
फिर तुम्हें अपनी साँसो में पाई
तुम्हारी मीठी याद की ख़ुशबु से ,
मेरी मुस्कान होंठों पर आई
वो रूठना – मनाना झगड़े के बाद
मिलन की याद आई ,
सोच ही रही थी कि आँख भर आई
चींडियो की चहचहाट से जाना
लो अब तो भोर हो आई …
बबिता मिश्रा
Discover more from ZorbaBooks
Subscribe to get the latest posts sent to your email.