बाकी है
आहिस्ता चल जिंदगानी ,अभी कई कर्ज़ चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है कई फर्ज निभाना बाकी है।
रफ़्तार में तेरे चलने से कई तो रूठ गए, कुछ छूट गए
रूठों को मनाना बाकी है, रोतों को हसाना बाकी है।
हसरतें कुछ अधूरी है, कुछ काम और भी ज़रूरी है
जीवन की पहेली को पूरा सुलझाना बाकी है।
जीवन की राह तो कठिन है , गिर कर उठना, उठकर
गिरना , यूं ही तो मंजिल तक का सफरनामा बाकी है ।
उस सफ़र में राहगीरों की भांति कदमों का सहारा बन
राहों में सफलता की वारदात अंजाम देना बाकी है।
जब सांसों को थम जाना है , फिर क्या खोना क्या पाना है
पर मन के ज़िद्दीपन को यह ज़रूरी बात बताना बाकी है।
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