वीरों का ग्रंथ - ZorbaBooks

वीरों का ग्रंथ

ऐ मस्त पवन के झोंके, बस हमें तू इतना बदला जाना।

जब आए वतन पर संकट कोई, तू पैगाम हमें सुना जाना।

फिर लहरा – लहरा कर कयानात में, बतलाना अपने अनुभव अनंत ।

लिख सके हम जिससे कोई, वीरों की ग्रंथ ।।

ढूंढ रहा था मैं उजाला, पर चारों तरफ छाया है अंधेरा ।

विरों के जीवन का आखिर, कहां छुपा है सवेरा।

वीरों की, वीर गाथा बतलाना, आए जग में कोई साधु संत।

लिख सके हम जिससे कोई, वीरों की ग्रंथ ।।

जहां टपके थे कल अश्क नैनो से, वहीं आज खुशियों के मेले हैं ।

जरा याद करे भारतवासी उन वीरों को, जीवन जिनकी गमों से खेले हैं ।

वीरों की वीर कथा सुनाने, अंबर से आए कोई भगवंत।

लिख सके हम जिससे कोई, वीरों की ग्रंथ।।

बता मां भारती क्या ? आए थे वीर जमीं पर, अपनी वीरता दिखाने को ?

या फिर आए थे जग में वो, कायरों को ज्ञान सिखलाने को ?

दे कोई ज्ञान हमें, बनकर कभी रविंद्र, या सुमित्रानंदन पंत।

लिख सके हमें जिससे कोई, वीरों की ग्रंथ।।

कैसी अनोखी कहानी वीरों की, जो अपनी रक्तों से होली खेले हैं ।

गुजार कर सरहद पर जीवन अपनी, आजीवन गोली झेले हैं।

पलट दे मां भारती, वह इतिहास के पन्ने अनंत।

लिख सके हम जिससे कोई, वीरों की ग्रंथ ।।


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Anand shriwastava