चिड़िया - ZorbaBooks

चिड़िया

चिड़िया थी एक आंगन में

पाबंदी उसे पर हजारों थी,

उडना वह भी चाहती थी मगर,

समाज में कैंचीयां हजारों थी,

“तू उड़ने की कोशिश तो कर

हम तेरे पंख काटने को बैठे हैं

तू थोड़ा बाहर तो निकल

हम ताने मारने को बैठे हैं”

यह मत कर वह मत कर

इज्जत घर की मिट्टी में मिल जाएगी,

आंगन घर का सूना हो जाएगा

जिस दिन वह चिड़िया हार मानकर नीचे गिर जाएगी…

एक ही सपना था उसे चिड़िया का

कि वह भी उन कबूतरों की तरह

नील खुले आसमान में उड़ पाएगी।


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Comments

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  1. Meenal parihar says:

    Bhot bhot bhot badiya 😄👍 ese hi continue kr

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