सब्र
ए खुदा मुझे सब्र अता कर, उन लोगों की तरफ़ से,
जो रुख मोड़ गए है, बिना कुछ बोले, बिना कुछ बताए मुझ से।
बोला था जब जाना बता कर जाना,
पर इतना मुनासिब ना समझा।
बोला था जान चली जाएगी,
पर इसे भी हकीकत ना समझा ।
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