माँ की ममता
माँ की ममता …….
देती है माँ जीवन अपना जीवन हार के
सींचा है खून से हमें अपने कोख में पाल के
अपलक निहारती लोरी सुनाती अपने बाहुपास में
सही ग़लत की बात सिखाती हमें दुनिया जहान की
ग़लतियों पर डाँट लगाती ग़ुस्से में चपत लगाती
फिर माँ रोती है पछतावे की आग में
तडप कर सीने से लगा चूमे माथा माँ प्यार से
धूप छाँव की ज़िन्दगी गुजरे माँ की आग़ोश में
जीवन का पल गुजरे माँ की आँचल की छाँव में
देती है माँ जीवन अपना जीवन हार के …..,
बबीता मीश्रा
विकासपुरी न्यू दिल्ली-18
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