जय हो - ZorbaBooks

जय हो

पुण्य है पवित्र है मोह हैं छाया हैं उदय हैं अंत है भगवान है भक्त है , माथे पर जिसकी चंद्र मुकुट हो और हाथो मे धनुष धारण करते है। मोर मुकुट भी जिसकी सोभा पाती हैं। वही तो भगवान हैं।


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Himanshu Kumar jha
Bihar