भूल सा गया हूँ आवाज तुम्हारी! - ZorbaBooks

भूल सा गया हूँ आवाज तुम्हारी!

भूल सा गया हूँ आवाज तुम्हारी!

क्यूँ न एक दिन बात कर लेते हैं!

थोड़ी कम हो गयी हैं शरारतें मेरी!

क्यूँ न एक दिन खुराफात कर लेते हैं!

जानता हूँ प्रिय बिगड़े हैं हालात कई

बहुत झेलें हैं तुमने दुख,दद॔ और ही सितम

मानता भी हूँ , पर चाहो तो सही सभी

हालात कर लेते हैं !

जब भी गुज़रती है यादों की हवाएं

घनघोर घटा बदली वो राहें

दिल करता है थाम लूँ थोड़ा सा इन्हें!

मेरे को तो तुमसे है इतना कहना

कुछ भी हो जाय पर है साथ चलना!

अब तो मानों अरसा हो गया तुमको देखें

चलों न एक दिन मुलाकात कर लेते हैं !

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Rahul kiran
Bihar