Description
1943 में हरियाणा के एक छोटे से शहर, नारनौल में जन्मे ओम गर्ग का जीवन साहस, संकल्प और असाधारण उपलब्धियों की एक प्रेरक गाथा है। एक साधारण बचपन, लेकिन आत्मसम्मान, ज्ञान और दृढ़ निश्चय की मजबूत नींव ने उनकी यात्रा को असाधारण साहसिक सफर बना दिया। ओम ने शिक्षा, भूविज्ञान
यह आत्मकथा उनके एक मेधावी छात्र से भूविज्ञानी और फिर एक साहसी उद्यमी बनने तक के सफर को उजागर करती है। अपनी नवोन्मेषी सोच के साथ उन्होंने कई व्यवसाय स्थापित किए और हर चुनौती को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ पार किया।
व्यावसायिक दुनिया से परे, ओम का जीवन एक नाटकीय मोड़ लेता है जब उन्हें व्यक्तिगत संघर्षों, विशेष रूप से दृष्टिहीनता का सामना करना पड़ता है। लेकिन उनका अटूट साहस और जीवन के प्रति दार्शनिक दृष्टिकोण उन्हें न केवल आगे बढ़ाता है, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनाता है।
हिमालय की रोमांचक यात्राओं, अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और व्यापारिक संघर्षों से भरी यह पुस्तक आत्मविश्वास, ज्ञान की खोज और हर परिस्थिति में सफलता को नए मायनों में परिभाषित करने की शक्ति का प्रमाण है।
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