Description
कवितांजली में मानव जीवन, प्रकृति, और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कविताओं का संग्रह है। इसमें प्रकृति के प्रति प्रेम, ग्रामीण जीवन का सौंदर्य, और खेतों की लहलहाती फसलों का चित्रण है। गुलाब और कांटे की संगति, पानी का महत्व, और बुंदेलखंड की जल-संकट स्थिति पर भी कविताएं हैं। कोविड महामारी के समय में लोगों की पीड़ा, मजदूरों की मुश्किल यात्रा, और लॉकडाउन की त्रासदी को मार्मिक रूप में दर्शाया गया है।
इसके साथ ही किसान की स्थिति, गरीबों की व्यथा, और आज के भारत में नैतिकता की कमी, आर्थिक भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को उजागर किया गया है। स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, तिरंगे का गौरव, और गांधी के विचारों पर आधारित कविताएं भी शामिल हैं। जीवन के विभिन्न पहलुओं, रिश्तों, और प्रेम के रंगों का चित्रण करने वाली ये कविताएं मानवीय संवेदनाओं को सजीव रूप में प्रस्तुत करती हैं।
About the Author
काव्य पुस्तक ‘कवितांजली ‘ के लेखक सत्यपाल सिंह ‘मनभर’ Satya Pal Singh का जन्म 8 जुलाई, 1963 को जनपद बागपत के ग्राम चोपड़ा महेशपुर में हुआ। 20 वर्ष की आयु में वर्ष 1983 मे इन्होंने बैंकिंग संस्थान, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, के क्षेत्रीय कार्यालय, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली में लिपिक एवं टंकक के पद पर कार्यभार ग्रहण कर 10 वर्ष 6 माह की सेवा पूर्ण कर दिसंबर 1993 में सेवा से त्यागपत्र दे दिया। तदुपरांत जनवरी 1994 में उ. प्र .सरकार के राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यभार ग्रहण कर पी.सी.एस. कैडर में प्रोन्नति प्राप्त कर डिप्टी कलेक्टर व अन्य सम्मानित पदों पर रहते हुए लगभग 30 वर्षों की राजकीय सेवा सफलतापूर्वक पूर्ण कर वर्ष 2023 में सेवानिवर्त्त हुए हैं। चूंकि राज्य की प्रशासनिक सेवा में इनका सीधे जुड़ाव शहरी एवं ग्रामीण परिवेश की आम जनता से रहा है, अतः इन्होंने समाज में अपनी सेवाएं देकर यथोचित सम्मान प्राप्त किया है। इन्होंने प्रकृति के विभिन्न घटकों, वर्तमान समय में मानव दशा व मानवीय संवेदनशीलता तथा जानलेवा कोविड महामारी से उत्पन्न मार्मिक परिस्थिति को गहराई से महशूस किया है। उनके विचार में प्रकृति का दोहन एवं उसका विनाश एक चिंताजनक एवं भयावह परिद्रश्य है। प्रकृति-प्रेम व मानव-प्रेम के प्रति इनका गहरा लगाव रहा है। अपनी सेवाकाल के दोरान महशूस किए गए अनुभवों के आधार पर इन्होंने अपने मन में जाग्रत भावनाओं को शब्दों में पिरोकर कविताओं का रूप देते हुए ‘कवितांजली‘के रूप में प्रकट किया है। कविताओं में छिपी संवेदनशीलता एवं संदेश यदि पाठक के दिल तक छु जाए तो ही कविता की जीवंतता सिद्ध होती है अन्यथा केवल कुछ शब्दों का संग्रह मात्र रह जाती है।
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