Durgesh KumarPoem 50अभिलाषा के पंख संघर्षों की राहों पर चलना सीखा, हर ठोकर से कुछ नया समझना सीखा। सपनों की दुनिया में उड़ने की चाह, परिश्रम की अग्नि में तपने की राह। सुबह की किरन संग उम्मीदें जगती, रातों की नींदें किताबों में कटती। कभी असफलता के आँसू छलकते, कभी सफलता के दीपक दमकते। समय के संग चलना है जारी, हर दिन नई सीख, नई तैयारी। हार नहीं मानूंगा, रुकूंगा नहीं, संघर्ष की इस दौड़ में झुकूंगा नहीं। एक दिन वो सवेरा आएगा, मेहनत का हर कण मुस्कुराएगा। जो आज अधूरा सपना लगता, कल वही सच्चाई बन जाएगा।Read More...