बस' तुम से ही कहा गया है" हे पार्थ' - ZorbaBooks

बस’ तुम से ही कहा गया है” हे पार्थ’

बस’ तुम से ही कहा गया है’’ हे पार्थ’

निर्णायक बन कर कुरुक्षेत्र में आओगे’

तुम हो वीर अजेय’ शंका नहीं दिखाओगे’

वेगवान हो चले शत्रु पर’ घातक अस्त्र चलाओगे।

नहीं करोगे संशय रण में, जीवन के पथ पर।

गांडीव उठा लो वीर’ केशव होंगे तेरे रथ पर।।

बस’ तुम से ही कहा गया है,’ हे पार्थ’

लड़ने आया है कौरव बनकर दुविधा समूह’

ठाने हुए रार” लिए हुए संग में राग-द्वेष’

रण विषम और फिर पहने हुए कपट वेष।

निश्चय कर लो’ पाठ नीति-नियम के पढ कर।

गांडीव उठा लो वीर’ केशव होंगे तेरे रथ पर।।

बस’ तुमसे ही क्या गया है, संबोधन है स्पष्ट’

कुरुक्षेत्र के दावानल में संघ शत्रु का आज मिटा दो’

संधान करो दिव्य वह वान, पुरुषार्थ वीर दिखला दो’

तुम वीर-रणधीर’ रण कौशल अब तो बतला दो।

संशय के भाव अब छोड़ो’ रण में धर्म निभाओ डट कर।

गांडीव उठा लो वीर’ केशव होंगे तेरे रथ पर।।

बस’ तुमसे ही कहा गया है, ध्येय ढृढ कर डालो’

धनुष को लेकर कंधे पर’ प्रत्यंचा शीघ्र चढा लो’

कहीं भ्रम में न फंस जाओ, व्यर्थ ही समय बीता लो।

अब करने को सिद्ध पुरुषार्थ’ कौरव पर वाण चला लो।

बीती बातों की रेखाएँ हैं ज्वाला’ देखो नहीं पलट कर।

गांडीव उठा लो वीर’ केशव होंगे तेरे रथ पर।।

बस’ तुमसे ही कहा गया है, गीता के निर्मल शब्द’

ध्येय सिद्ध करने को मानव करता है निर्धारित कर्म’

रण जीवन का विषम, तुम पार्थ सही निभाओ धर्म’

जीवन के उत्कर्ष की खातिर’ समझो शब्दों का मर्म।

उचित करो कर्तव्य’ श्रम का भाव छलके नहीं पलक पर।

गांडीव उठा लो वीर’ केशव होंगे तेरे रथ पर।।


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