Description
ऐसी प्रेम कहानी, जो आज तक देखी, सुनी, पढ़ी और महसूस नहीं की गई ! एक ऐसी युवती, युवक, देश, राज्य व धर्म की कहानी, जिसे पढ़ते-पढ़ते पाठक आश्चर्य के समुद्र में गोते लगाने पर मजबूर हो जायेंगे ! नायक की नज़र में, अद्भुत लुकआउट लिए वो युवती 7 महादेशों, सभी समुद्रों, ब्रह्मांड से निःसृत सभी उपलब्ध सौंदर्य और अनंतिम कदर्य को समेटे तूफानी वक्ष लिए हैं, उनकी ओठ में ऐसी मंजन लगी है, जिसमें हज़ारों प्रेमी पेस्ट करने पर बेताब हैं, लेकिन वह ओठ किसके लिए बनी है, यह शायद और शायद एक पहेली ही है !
‘वेंटिलेटर इश्क़’ की प्रेम कहानी अंडर-ग्रेजुएट की एंट्रेंस परीक्षा से शुरू होकर ग्रेजुएट कक्षा में ही रह जाती है । नायक और नायिका यानी दोनों की ओर से प्रेम की चाह है, न भी है ! यह इसलिए कि दोनों ‘इश्क़’ का प्रकटीकरण प्रत्यक्षतः नहीं कर पाते हैं । नायक की मित्र-मंडली एतदर्थ चुहलबाजी जरूर करते हैं । नायिका भी कई दफ़े ‘इश्क़’ में रससिक्त हो नायक से वार्त्तालाप करती हुई रोमांचित हो जाती हैं । नायक को लगता है, यही तो रोमांटिज़्म है, इश्क़ है, किन्तु जब वो नायिका को करियर के प्रति संजीदा देखते हैं, हतप्रभ रह जाते हैं और नायक को संशय होने लगता है कि यह उनके तरफ से इकतरफा प्यार तो नहीं ! कटिहार छोड़ते समय नायिका हालाँकि फंतासी से परे होकर ज़िन्दगी के यथार्थ को अभिभावक की भाँति नायक को समझाती है और उन्हें भी करियर के प्रति सजग करती है ! …. परंतु नायक इश्क़ और करियर के द्वंद्व में स्वयं को विचलित पाता है !
नायक ‘कुमार शानु’ और नायिका ‘अंकिता नाथ’ !
दोनों ही मेधावी ! नायक अंडर-ग्रेजुएट टॉपर्स में एक है, तो नायिका की मार्क्स भी टॉपर्स जैसी है, किन्तु नायक से कम है । न केवल दोनों, अपितु दोनों के परिवार भी उन्हें इंजीनियर देखना चाहते हैं । …. और ‘इंजीनियर’ बनने की चाह के बीच ही नायक और नायिका की मुलाकात अंडर-ग्रेजुएट एंट्रेंस परीक्षा के प्रथम दिवस ही हो जाती है । दोनों के नीरस विषय mathematics, नायक के प्रेम से रिश्ते-नाते अरबों प्रकाशवर्ष दूर और नायिका भी इस संबंध में सख़्त जान, किसी को घास तक नहीं डालनेवाली ! …. किन्तु इश्क़यापे की खुमार ने घास तो डाली, चश्मिश नायक रूपी शाकाहारी प्राणी को ! कालांतर में दोनों इंजीनियरिंग के छात्र भी हुए !
…. परंतु ज़िन्दगी के झंझावातों ने क्या दोनों को जोड़ पाया ? पहलीबार ऐसा हुआ कि नायक और नायिका के अकथ प्रेम के बीच दोनों के परिवार आड़े नहीं आए, बावजूद इनदोनों का मिलन कब और किस परिस्थिति में हो पाई ? अगर हो पायी, तो यह ‘वेंटिलेटर’ शब्द क्यों ? फिर ‘वेंटिलेटर इश्क़’ कैसे ? यही तो इस उपन्यास और इसकी कथा की रहस्यता है ! क्योंकि यह आम प्रेमी-प्रेमिका के बीच की कहानी नहीं है ! वो इसलिए कि कथारम्भ में ही ‘सुपीरियर’ की दुनिया से आत्मसात होती है ! पौराणिक फंतासी की किला को वैज्ञानिक तर्क से डिलीट कर दिया जाता है, कैसे और किनके द्वारा ? फिर ये ‘सुपीरियर’ कौन है ? ये सब जानने के लिए निश्चित ही हमारे आदरणीय पाठकों और समीक्षकों को “वेंटिलेटर इश्क़ : A Graduate Love Story” को आद्योपांत पढ़ना होगा !
लेखक के बारे में
कटिहार, बिहार के ‘तत्सम्यक् मनु’ वैसे तो ‘मैकेनिकल इंजीनियर’ हैं, किन्तु ‘सोशल इंजीनियरिंग’ में भी उनकी उपलब्धियां ‘गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ तक पहुँच चुकी है तथा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, रिकार्ड्स होल्डर रिपब्लिक-UK, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया इत्यादि में न केवल कीर्तिमान लिए बसर कर रही है, अपितु ‘पद्म विभूषण’ हेतु नामांकित होनेवाले सबसे कम उम्र के भारतीय हैं । जब वे 3 वर्ष और कुछ माह के थे, तो उनकी लघुकथाओं की पुस्तिका छप चुकी थी । साल की अंतिम तारीख को जन्म लिए ‘तत्सम्यक् मनु’ की रचना ‘वेंटिलेटर इश्क़ : A Graduate Love Story’ उनकी पहली औपन्यासिक कृति है, जो ‘प्रेम’ की अजीब दास्तान को प्रस्तुत करती है । अपरिभाषित प्रेम ऐसी जगह पहुँचकर परिभाषित हो जाती है, जिसे पढ़कर पाठकों के ‘रो’ और ‘मांस’ बिखरकर ‘रो’ और ‘मांच’ में तब्दील हो जाएंगे यानी रोमांस, रोना और रोमांच — तीनों ‘रो’ साथ-साथ चलेंगे !
सम्प्रति, लेखक ‘तत्सम्यक् मनु’ दूसरे उपन्यास-लेखन में लग चुके हैं ।
सम्प्रति, लेखक ‘तत्सम्यक् मनु’ दूसरे उपन्यास-लेखन में लग चुके हैं ।
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Madhu lata tripathi –
It looks like real love story … Amazing… Feeling nostalgic…Thank u for this sorry…I will wait your next 😊
Ishika goyal –
It was awesome story …not just a truth…a unique story very different from others… fabulous