कलम जब है बोलती - ZorbaBooks

कलम जब है बोलती

कलम में वो ताकत है जो तलवार भी नहीं कर सकती,

कलम रक्तपात को रोककर दिलो-दिमाग को है छूती।

अंतर्मन को भेद कलम मन मस्तिष्क को सींच देती,

बोलती है जब कलम तो परिवर्तन निश्चित ही करती।

परिवार-समाज कल्याण के प्रति सोच परिवर्तित करती,

मन के अंतर्द्वंद को कलम शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत करती।

नव रस घोल देती कलम पन्नों पर उकेर कर सोच-विचार,

कविता,कहानी,गज़ल,गीत-संगीत,भावों को कर प्रस्तुत।

जागृत करती नई उम्मीद, विश्वास प्रबल, नव चेतना भर

परिवर्तन निश्चित है करती, स्याही कलम की ताकत बन।

कलम है जब बोलती तो जन-जन में नव चेतना भर देती, 

पराक्रमी-अहिंसक तौर, जनकल्याण हेतु नव निर्माण करती।

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अर्चना सिंह जया
Uttar Pradesh