My patriotic Awaaz (मेरी देशभक्ति-आवाज़)
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम,
ध्वज का हमेशा रखा जिसने मान।
कर्मभूमि समझ देश को वे वीर,
सदा देते रहे जो अपना योगदान।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
इन सपूतों को नित करो सलाम,
जो स्वयं के मुख न करते गुणगान।
सीखो इनसे तुम,कैसी हो देशभक्ति?
शहीद हुए कई ,हमारे नौजवान।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
मॉं के लाल भगत,बोस भी थे हुए
औ’ निरंजन,फतेह,राणा जो शहीद हुए।
लहू को न यूॅं ,तुम होने देना पानी
मॉं के कोख का, यूॅं ही रखना मान।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
बुलंद आवाज कर क्या साबित हो करते?
माना अभिव्यक्ति की है मिली आजा़दी,
देशभक्ति की चाहत थी उनकी भी,
आजा़दी का सार उनसे समझ करो काम।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
दिग्भ्रमित न हो तुम, कुछ तो समझो
कैसा लाल अब तुम्हें है बनना ?
सपूत कहलाने का दम सदैव भरना,
नवपीढ़ी गर्व से करे तुम्हें सलाम।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
देशद्रोही न कहलाने का भरना दम।
आवाज़ को न देना नारों का रंग,
“केसरिया,हरा व सफेद सा रहे दामन”
एक ही स्वर बिखेरना सुबह -शाम।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
अनेकता में एकता दर्शाकर ,
वीरभूमि को गले लगाकर।
सो गए जहॉं देश के वीर तमाम,
ऐसे देश का करना सीखो सम्मान।
युवा तुम्हें पुकारता है आवाम।
अर्चना सिंह जया, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
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Comments
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