संदेह का बीज - ZorbaBooks

संदेह का बीज

 @author_poet_bikram #doubt 

ये बीज क्यों बोता हूँ?

संशय को क्यों गले लगाता हूँ?

उसे क्यों खाद, पानी, और धुप देकर 

एक विराट फलदार वृक्ष बनाता हूँ?

क्या वह मेरे घर आ-जा सकते हैं?

क्या मैं उनके घर आ-जा सकता हूँ?

क्या मैं उन्हें छू सकता हूँ?

विषाणु के आतंक से सभी ग्रसित हैं, 

मैं कोई अलग कहाँ हूँ?

इंसान दूर के रिश्ते निभा रहा है

पास के रिश्तों को दूर कर रहा है

ऐसे में क्यों उसे बड़ा होने देता हूँ?

गला उसका क्यों नहीं घोट पाता हूँ?

क्यों नहीं कर पाता हिम्मत?

मन से क्यों रेत को अलग नहीं कर पाता हूँ?

क्यों, संशय को बड़ा होने देता हूँ?

क्यों, संशय को बड़ा होने देता हूँ?

© Bikramjit Sen


Discover more from ZorbaBooks

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Bikramjit Sen
West Bengal