तेरा कुछ इस तरह - ZorbaBooks

तेरा कुछ इस तरह

 तेरा कुछ इस तरह मेरे शहर में आना हुआ,पता ना चला!
मैं रहा बेखबर,तेरा तो आहिस्ता से दिल में मेरे ठीकाना हुआ!!
तू भोली है कहने लगे लोग,तू नटखट है बेचैन रहने लगे लोग!
मैं तेरा-मैं तेरा तेरे अक्स पर मर मिटा,जबसे तेरा शर्माना हुआ!!
तेरी तो ताक झांक में मोहल्ले ईमान खोने लगे,बस तेरा होने लगे!
मैं बेखबर ना रहा,मुझे सबर ना रहा,जबसे गलियों में आना हुआ!!
अजीब से अदालत लगी इश्क की,तू हाकीम बनी मैं मुजरीम सही!
तेरे अक्स पे खुशियाँ लुटाने लगा,तेरे तीरे नजर का निशाना हुआ!!
 

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मदन मोहन'मैत्रेय'