प्यार की परिकाष्ठा - ZorbaBooks

प्यार की परिकाष्ठा

तेरी चाहतों का सिलसिला कुछ इस तरह चलता रहा, मैं दरिया सी बहती रही तू समंदर सा थमता रहा। 

तेरी प्यार की गहराई में कुछ इस कदर खोने लगा, दिल बवंडर बन जज्बातों का तेरी याद में रोने लगा।

तेरे प्यार में मीरा बन मैं राधा सी जलती रही, तू कान्हा बना गोपियों संग अठखेलियां करता रहा।

तेरी चाहतों का सिलसिला कुछ इस तरह चलता रहा, मैं शाम सी ढलती रही तू सूर्य सा जलता रहा।

(मंजु)

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Manju Sharma