भक्ति के संग: श्रीकृष्ण का चयन
हरी का कोमल प्रेम छोड़ कर,
क्यों मैं तीखे बाण चुनूँगा।
दुर्योधन, तुम नारायणी सेना चुनो,
मैं तो श्रीकृष्ण चुनूँगा।
कान्हा की दोस्ती प्यारी हैं मुझे,
मैं तो उसे ही चुनूँगा।
कर्ण, तुम दुर्योधन चुनो,
मैं तो श्रीकृष्ण चुनूँगा।
भक्ति की राह पर चलूंगा,
गीता के आदर्शों को अपनाऊंगा।
शकुनि, तुम मोह-माया चुनो,
मैं तो श्रीकृष्ण चुनूंगा।
अपनी भक्ति में ही,
सच्चे राजा बन जाऊंगा,
मैं तो सबकुछ त्याग,
उस अनंत सत्य को ही चुनूंगा।