माहौल - ZorbaBooks

माहौल

माहौल

कोई मऊ , कोई बलिया तो को गोरखपुर से जाते है, बड़े कम उम्र में बच्चे अपने घर से निकल जाते हैं, तैयारी की जंग लड़ने कोई बनारस ,कोई प्रयागराज तो कोई दिल्ली को जाते है

मेरा मन बड़ा व्याकुल था जब मैने ये सब देखा , उनको यहां आकर इधर-उधर घूमते देखा, सहसा मैने पूछ लिया तुम यहां इतनी कम उम्र में क्यों चले आते हो, इस उम्र में परिवार के बिना कैसे रह पाते हो, पिता जैसा सामाजिक ज्ञान यहां किससे पाते हो, माता की ममता, सहजता यहां किससे सिख पते हो

सहसा एक बोल पड़ा हम यहां माहौल देखकर आते हैं, संसाधन हमारे पास है पर हम घर पर नहीं पढ़ पाते हैं

अरे माहौल जैसी कोई चीज नहीं होती है इस जमाने में, जीवन तुमने देखा नहीं, माता-पिता से कुछ सीखा नहीं, तो फिर कैसे उच बनोगे , पढ़लो चाहे जितना भी तुम नहीं बुद्ध बनोगे

अरे साहस रखते हो तो बुद्ध की तरह अकेला चलना सीखो , पहले नैतिक ज्ञान लेलो फिर विज्ञान को पढ़ना सीखो, 15- 16 वर्ष की उम्र तुम्हारी किस चीज की तैयारी करोगे यूपीएससी ,आईआईटी ,नीत किस क्षेत्र में तुम कूदोगे , तुम माहौल के चक्कर में सब परिवार का सुख खो देते हो, और अगर असफल होते हो तो आत्महत्या की ओर रुख मोड़ लेते हो

इस माहौल के चक्कर में तुम सिमट के रह जाते हो , ना तुम अच्छे नागरिक बनते हो ना बालक बन पाते हो, तुम माहौल के चक्कर में मध्य में रह जाते हो

सीधी बात बोलूंगा गलती नहीं तुम्हारी है, भेड़ चाल का हिस्सा बनकर तुम चले आते हो, फिर इन गलियों में खुद को नहीं निखार पाते हो , 16 साल की उम्र तुम्हारी 11- 12 में पढ़ने वाली है समस्त रूप से तुमको निखरने वाली है

अरे है अगर तुम्हें तैयारी करना तो 12 बाद घर से बाहर निकालो , सच झूठ के बारे में पहले तुम लड़ना सीख लो फिर तुम आ जाना हम कुछ नहीं कहेंगे पर इस तरह माहौल के चक्कर में तुम्हें मरते नहीं देख सकेंगे

प्रियांशु सिंह


Discover more from ZorbaBooks

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Priyanshu singh
Uttar Pradesh