नहीं मिलता….
पहचानता था मैं जिसको
वो शख्स नहीं मिलता
किसी और सा बनने की चाहत में
खुद का अक्स नहीं मिलता
मुट्ठी भरी थी सपनो से
वो हाथों से फिसल गयी
जाने कब ये दुनिया की
हक़ीक़त में जाकर मिल गयीदुनिया की भीड़ मेख्वाब नहीं मिलता
बहुत ढूँढा बहुत पुकारा
कोई जवाब नहीं मिलता
वजूद क्या है सवाल है ये
है हकीकत या ख्याल है ये
पहचान आईना या कुुआँ कोई
मुक्ति है मेरी या जंजाल है ये
पग पग यहाँ गड़े है पत्थर
राह का पत्थर नहीं मिलता
मुझको अपने जीने-मरने में
अब कोई अंतर नहीं मिलता
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