Description
Ek Mutthi Rakh is a book of poems in Hindi
छल है, छल है, छल है,
सब छल है, छल है, छल है |
जो आज है, वह कल है
फिर क्यूँ हृदय विकल है,
जो चल रहा यह पल है
कल का हीं तो नकल है,
बस किरदार है बदलता
समय का प्रतिपल है |
About the Author
बचपन में हीं शरत और ओशो से की गईं साहित्यिक मुलाकातें, केन्द्रीय विद्यालय खगौल के प्रांगन में घटित कुछ बातें तथा मुकद्दर में समंदर की कोलंबसी रातें | स्कूल के पीछे कब्रिस्तान को चुपचाप एकाकी से अवलोकन करने की आदत, दोस्तों के शरारतों पर खुद को शहादत देने का उमंग या फिर कारबाइन के साथ विराट में बिताई गई फ्लाइ डेक की शामें | डिडी वन पर देखे सीरियल विक्रम बेताल या फिर शहिद चलचित्र में भगत सिंह का ‘रंग दे वसंती चोला’ गाते – झूमते हुए फांसी पे चढ़ने जाने वाली कदमों की चाल | या फिर नौवीं कक्षा में ‘खूनी हस्ताक्षर’ कविता पाठ के दौरान बीच में हीं माइक छोड़कर भाग जाने की घटना | शायद जीवन की यही वे मिश्रित चंद घटनाएं रही होंगी, जिसने एक संकोची बैक बेंचर को, न जाने कब कैसे विचारों के बोगनविलिया से झाड़, कविता के केनवस पे ला पटका होगा | मित्रों का सहयोग, शिक्षकों की फटकार, पिताजी की वाकपटुता, माताजी का विश्वास तथा मेरे शावकों, नैन्सी, ग्रेसी और श्रीराम की हौसलाफजाही के फल:स्वरूप ‘एक मुट्ठी राख़’ का जन्म होना संभव हो पाया | माफ करना नीलम, तुम्हारी कई रातें मुझ पर उधार है |
ई-मेल – singh.neelama.santosh@gmail.com
‘राख़’
आगामी दस्तक – ‘’ चाक चुंबन “
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SANTOSH KUMAR SINGH –
BAHUT HI ACHA
nitesh –
आज मैंने आपकी कविता में से एक शीर्षक जिसका नाम घास है वो पढ़ा , मेरे पास शब्द नही उसके बारे में कहने को बस इतना ही बोलूंगा कि थैंक यू