Description
हर लफ़्ज़ में ज़िंदगी सिर्फ़ कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि जज़्बातों की एक बयानी है — जहाँ हर लफ़्ज़ जीता है, साँस लेता है और किसी न किसी दिल की कहानी कहता है। इस संग्रह में भावनाओं की विविधता है — प्रेम की मासूमियत, बिछड़ने की कसक, उम्मीदों की रौशनी, आत्ममंथन का सन्नाटा और जीवन की सरल-गूढ़ सच्चाइयाँ। लेखिका ने अपने अनुभवों, विचारों और जीवन के गहरे रंगों को कविताओं के माध्यम से सहज शब्दों में पिरोया है। हर लफ़्ज़ में ज़िंदगी उन सभी पाठकों के लिए है, जो शब्दों के बीच दिल ढूंढते हैं और कविता में जीवन जीना चाहते हैं।
About the Author
सुकेश कादियान एक संवेदनशील कवयित्री हैं, जिनका शैक्षणिक और व्यावसायिक जीवन तकनीकी और वित्तीय पृष्ठभूमि से जुड़ा रहा है। उन्होंने कंप्यूटर अनुप्रयोग में स्नातक (BCA) किया है। वर्ष 2013 से 2015 तक उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में कार्य किया, जहाँ उन्होंने JAIIB और CAIIB जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। वर्तमान में वह आयकर विभाग में कार्यालय अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। वित्तीय आँकड़ों और प्रक्रियाओं की दुनिया में काम करते हुए भी उनके भीतर की रचनात्मकता ने उन्हें कभी नहीं छोड़ा। उनके लिए कविता आत्मा की सहज आवाज़ है—जो व्यस्त दिनचर्या के बीच भी जीवन के गहरे भावों को अभिव्यक्त करती है। “हर लफ़्ज़ में ज़िंदगी” उनकी पहली काव्य-संग्रह है, जिसमें उनकी सोच, संवेदना और अनुभवों की झलक मिलती है।
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