Description
जिस तरह एक माँ के लिए उसकी सभी संतान एक समान प्यारी होती हैं उसी तरह एक रचनाकार के लिए उसकी सभी रचनाएं एक -सा
महत्व रखती हैं।
हर कविता को लिखते समय मुझे एक प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ा है।इसलिए ये कह पाना मुश्किल है कि मैं किस कविता को अधिक महत्व दूँ?
मेरी सभी कविताएं मुझे अत्यंत प्रिय है लेकिन कुछ कविताओं के मर्म ने मुझे अंदर तक झिझोड़ कर रख दिया। मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि हमारा समाज आज भी उन्हीं सड़ी-गली रूढ़ियों में जकड़ा हुआ जो स्त्रियों की अस्मिता पर एक प्रश्नचिन्ह है”चलो मैं सुनाऊँ तुम्हे एक कहानी”
कविता की नायिका आंखों में मधुर मिलन के सपने सजाये बाबुल की चौखट से विदा होती है।
ससुराल के आँगन में कदम रखते ही उसे अपने जीवन की कड़वी सच्चाई से रूबरू होना पड़ता है।पति की बेवफ़ाई से वह टूटने लगती है ,मधुर जीवन के सपने एक -एक कर दम तोड़ने लगते हैं।सहारे की कोई उम्मीद न देखकर वह ख़ुद को परिस्थिति के हवाले करने की बजाय
उनका मुकाबला करने को कटिबद्ध होती है।
वह उस नरक से स्वयं को मुक्त कराती है।
समाज के लांछन की परवाह किए बगैर अपने आत्मसम्मान की रक्षाहेतु वह पति का त्याग कर फ़िर से आत्मनिर्भर जीवन को गले लगाती है।
“क्षितिज पार से एक आवाज़ आई,
देखा कि कोई कि कोई चला आ रहा था ।
वही आत्मसम्मान विश्वास मेरा ,
नई राह फ़िर मुझको दिखला रहा था।”
About the author :
कवयित्री कुसुम शिव शंकर तिवारी जीवन की वास्तविकताओं के विविध स्वरूपों की रचनाकार हैं। मूलरूप से ग्राम सोनैचा, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश की निवासी और एम ए बीएड की उपाधिधारी कुसुम तिवारी का जन्म 28 अप्रैल को गाँव सोनैचा में हुआ। वे मुम्बई में रिज़वी कॉलेज ऑफ आर्ट्स सायन्स और कॉमर्स बांद्रा में पिछले 27 वर्ष से कार्यरत हैं।
काव्य सृजन, अध्यापन और अपनी अन्य गतिविधियों में उन्होंने अनुपम सामंजस्य बना कर रखा है। गोवा के गवर्नर खुर्शीद आलम खान के हाथों सर्वोत्तम शिक्षिका का 1992 में अवार्ड प्राप्त करने वाली कुसुम तिवारी फिल्म स्टार राजेन्द्र कुमार के अभिनेता पुत्र कुमार गौरव के हाथों शिक्षक दिवस 1994 पर बेस्ट कोरियोग्राफर अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी हैं। अपनी कविताओं के बारे में कवयित्री का कहना है कि मेरी रचनाओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं का अवलोकन दृष्टव्य होता है।
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