Description
चलो मान जाओ Chalo Maan Jao
रूठना अगर इंसान की फितरत है तो मनाना इंसानियत का एक हसीन पहलू है | रूठना अगर नमक है जिन्दगी का तो मनाना शहद है जिसके पीछे छिपी लाखों मधुमक्खियों की जद्दोजहद फलसफा है जिन्दगी का | इस कविता संग्रह की कविताएं सिर्फ महबूबा को मनाने तक सीमित नही | इन कविताओं का दायरा पाठक को मनाने की कोशिश करता एक इमानदारी के साथ कि जिंदगी अगर महबूबा है तो इंसान है आशिक | इन कविताओं मे बुना तिलस्म एक ओर बाँध लेता है पाठकों को छायावाद के मजबूत जाल मे, तो दूसरी तरफ इस संग्रह की सामयिक कविताएँ ज्वलंत मुद्दों पर सोचने को मजबूर भी करती हैं | चलो मान जाओ (Chalo Maan Jao)एक सफ़र है , एक लम्बी सड़क है जिस पर चलते चलते पाठक कहीं न कहीं इस सफ़र को अपना समझने लगेंगे |
About the Author
विंग कमांडर बिमल वरन बडूनी भारतीय वायुसेना के भूतपूर्व हैलिकाप्टर पायलट हैं | वायुसेना से अवकाश लेने के उपरान्त, वर्तमान मे वे पवनहंस हैलिकाप्टर मे कार्यरत हैं | दस हजार घंटो से अधिक उड़ान अनुभव एक पायलट के रूप में उनकी व्यस्तता को दर्शाता है फिर भी कविताओं के प्रति उनका रुझान उन्हें हिंदी तथाअंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखने के लिए प्रेरित करता रहता है | अब तक हिंदी तथा अंग्रेजी में जोरबा बुक्स द्वारा एक एक कविता संग्रह प्रकाशित | “चलो मान जाओ” उनका प्रकाशित होने वाला तीसरा कविता संग्रह है |
The published titles before चलो मान जाओ are:
Pathik Chup Chap (Hindi)
From the No-Man’s-Land ( English)
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