Description
सभी को मन की शांति चाहिए। भौतिक सम्पदा केवल सुख-सुविधा प्रदान करती है, जबकि मन की शांति अध्यात्म के जुड़कर, जीवन में धारण करने के बाद मिलती है। जीवन को सुखमय व्यतीत करने के लिये धन चाहिए। धन एक माध्यम है, जिससे आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु साधन उपलब्ध किये जा सकते हैं। बिना धन के जीवन व्यतीत करना बहुत ही कष्टमय होता है। परन्तु परम आनन्द को पाने के लिये आनन्दमय प्रभु की कृपा चाहिए। प्रभु कृपा पाने के लिये प्रथम शर्त है प्रभु से जुड़ना।
यह पुस्तक, आत्मज्ञान से आनंद, अध्यात्म और जीवन के अनुभव से जुड़ी हुई है। इसमें जीवन में आने वाली समस्याओं और उनके समाधान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इतना ही नहीं, यह पुस्तक कई महापुरुषों के वचनों का भी संकलन है। इनमें से कोई भी शब्द यदि आपके हृदय को छू गया तो निश्चत रूप से आपका कल्याण होगा। इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य यही है कि मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ जाये और जीवन आनन्दमय बन जाये।
About the Author
कन्हाई लाल साह, 06 अक्टूबर 1989 में उप निरीक्षक(स्टेनो) के पद पर सीमा सुरक्षा बल में नियुक्ति हुई। तद्पश्चात देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
बचपन से ही आध्यात्म के प्रति गहरी श्रद्धा होने के फलस्वरूप सतसंग तथा आध्यात्मिक पुस्तकों के पठन-पाठन में विशेष रूचि है। यह मेरे लेखन की प्रथम अक्षर यात्रा है। मेरी कई अप्रकाशित कविताएं और लेखन हैं, जिनको प्रकाशित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है ।
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