राज में गुंडे धर्म में पंडे समाज में अंधे - ZorbaBooks
राज मेंगुंडे धर्ममेंपंडे समाज मेंअंधे

राज में गुंडे धर्म में पंडे समाज में अंधे

by पीताम्बर पन्त

179.00

E-Book Price ₹99 / $$2.99

Genre ,
ISBN 9789390640720
Languages Hindi
Pages 86
Cover Paperback
E-Book Available

Description

मैंने आपातकाल के दौर में एक विद्यार्थी के रूप में निर्मम गिरफ्तारीयों का,  नसबंदी अभियान में हास्यास्पद घटनाओं का, वी.पी. सिंह के कमंडल से मंडल द्वारा एक खंडित समाज का, लोकतंत्र के नाम पर चुनावी मौतों का और २०वीं सदी के अंतिम कुछ वर्षों में औसतन प्रधानमंत्रियों के चयन का दुखद अनुभव किया.   इन सब घटनाओं ने मुझे जीवन के ३० वर्ष पार करते करते उद्वेलित और निराश कर दिया।

स्थिति में सुधार नहीं हुआ है – यह और भी खराब हो गई है। नई सदी में बड़े पैमाने पर लूट, झूठ, लोकतांत्रिक मूल्यों और संगठनों का ह्रास तथा विधायिकाओं में अपराधी छवि की बढ़ोतरी ने पूरे भारत में निराशा और आत्म-ग्लानि की भावना पैदा की है।

अपनी निराशा को बाहर निकालने के लिए किताब लिखने का क्या मतलब है?  क्या यह किताब किसी भी तरह से उपयोगी होगी?  शायद! अतीत से सीखने का अवसर निश्चित रूप से उपयोगी होगा। मानव-जाती का अतीत को भूलने की प्रवृति एक अचम्भा  है! यक्ष का पहला प्रश्न “दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?” और युधिष्ठिर का जवाब, “मनुष्य का यह जानते हुए कि मृत्यु जीवन का अटूट सत्य है वह फिर भी इस सच को भूला रहता है।” सम्भवतः यह किताब भविष्य में भी हमें हमारे ह्रास के कारणों का स्मरण कराएगी और शायद हमारे पुनरुत्थान के  लिये एक प्रेरणा बनेगी।

पुस्तक के दो भाग हैं – पहला स्वतंत्रता के बाद के नेतृत्व का वर्णन करता है और कैसे इसने 70 वर्षों में एक प्राचीन संस्कृति को लगभग नष्ट कर दिया है और दूसरा भाग मातृभूमि की महिमा को बहाल करने के लिए आगे की राह दर्शाता  है।

लेखक के बारे में

पीताम्बर पंत का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड की मनोहारी प्रकृति के गोद मे हुई I एक किसान परिवार में पैदा होने के कारण कृषि के महत्व और समय पर की गई मेहनत के परिणामों का अनुभव मिला I सत्तर के दशक में वह आगे की शिक्षा के लिए दिल्ली विश्वविद्मालय मे प्रवेश लिया I शिक्षा सम्पन्न होने के बाद कंसल्टिंग के क्षेत्र मे कार्यरत हुए I कंसल्टिंग से देश-विदेश का भ्रमण, अर्थव्यवस्था का ज्ञान और विभिन्न संस्कृतियों को जानने का लाभ इन्हें मिला I

ग्रामीण और शहरी परिवेश की अच्छी पकड़, देश के बारे मे जागरूकता और भारत की विरासत का आभास इस पुस्तक के प्रेरणा स्रोत हैं I पुस्तक मे भारत की संस्कृति एवम समृद्दि के ह्रास के कारणो का विश्लेषण और पुनः उत्थान के बारे मे जीवंत उदाहरणो के साथ चर्चा है I भाषा सुगम है I आशा है कि पाठकगण इसे तार्किक और रोचक पायेंगे I

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