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कोविड -19 महामारी और भारत: लॉकडाउन से वैक्सीन तक
इस महामारी ने हमें काफी कुछ सिखाया भी, जैसे हमनें ‘लॉकडाउन’ के दौर में रिश्तों के महत्व को समझा, सीमित संसाधनों में अनुशासित जीवन जीना सीखा। हमें आजादी के महत्व का पता इन असाधारण परिस्थितियों में ज्ञात हुआ। कुछ व्यवसाय तो परवान चढ़ें, तो कुछ एकदम से धराशायी हो गये। लॉकडाउन के कारण समाज में आयी आर्थिक असमानता बरसों-बरस तक हम लोगों को देखने को मिल सकती है। विश्व के सबसे सख़्त लॉकडाउन में, व्यक्तियों ने सिर्फ जिन्दगी बचाने पर ज्यादा जोर दिया, और अपने को घोषित पाबन्दियों के बीच रखना ज्यादा बेहतर समझा, इस कारण से भारत में लॉकडाउन पूर्णतः सफल हुआ। लॉकडाउन के कारण हमारी निर्भरता डिजिटल उपकरणों पर अधिक बढ़ गई है। इस महामारी ने हम सभी को एक
समान बना दिया, जाति, उपजाति, धर्म, सामाजिक स्तर, आर्थिक रूतबा सबने इस महामारी के सामने घुटने टेक दिये……. बस जान बच जाये, यही एक समान सोच सभी की हो गई।
लॉकडाउन के समय जीवन की भौतिक आवश्यकताएँ तो निचले स्तर पर आ गई थीं, स्वास्थ्य ही सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी थी। लॉकडाउन में जितने लोगों से आपका सम्पर्क होता था, वही आपकी पूँजी और जीवन के लिये महत्वपूर्ण हैं, बाकी सब माया। सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान घोषित विधियों का पालन करने के महत्व का पता हम सभी को चला। इसके कारण कोरोना महामारी का संक्रमण काफी हद तक नियंत्रण में रहा। राष्ट्र के चौथे स्तम्भ ने भी लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों में अपना फर्ज बाखूबी निभाया। हॉकरस ने कोरोना वायरस संक्रमण की तमाम भ्रांतियों को नकारते हुए कोरोना काल में न्यूज पेपर घर-घर तक पहुँचाने में पूर्व की भाँति अपना योगदान दिया।
इस महामारी ने छोटे शहरों, गाँवों में रहन-सहन को पुनः चर्चा में ला दिया। अपनी मिट्टी और अपनी रोटी क्या होती है, इसका भी अनुभव कोरोना महामारी ने करवा दिया। शहरीकरण की दशकों पुरानी योजनाएँ एकदम रूक सी गई थीं। सिर्फ और सिर्फ जान बची रहे, हर कोई यही सोचता था। फिर भी सामान्य स्थितियों की भारत तीसरी दुनिया के देशों की तुलना शीघ्र आ गया है। इसमें सरकार द्वारा समय पर लॉकडाउन लगाकर हजारों लोगों को मरने से बचा लिया गया। सरकार द्वारा समय-समय पर कोरोना महामारी के संक्रमण को नियंत्रित करने आदि के संबंध में घोषित की गई मानक संचालन प्रक्रियाओं का नागरिकों ने भी बड़े ही धैर्य व सम्मान के साथ पालन किया। अनलॉक-1 घोषित होते ही नागरिकों के मध्य सकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव, पूरे भारत में देखने को मिला। नागरिकों का विश्वास सरकार द्वारा कोरोना महामारी को नियंत्रित करने हेतु बनायी गयी नीतियों के प्रति और बढ़ता गया। इस पर भी समय से पहले वैक्सीन का आ जाना भारतीयों को अप्रत्याशित सा लगा। वैक्सीन के आ जाने की ध्वनि सुनते ही भारतीय अर्थव्यवस्था में भी शनैः -शनैः सुधार दिखाई देने लगा। विश्व के सबसे बड़े टीका अभियान की शुरूआत होने पर लोग 16 जनवरी, 2021 से
सरकारी नियमों के अनुसार सुरक्षित वैक्सीन लगवा रहे हैं। 26 फरवरी, 2021 शाम 6 बजे तक भारत में 1 करोड़ 37 लाख 56 हजार 6 सौ 40 लोगों का टीकाकरण हो चुका था। अब तक भारत में 2 करोड़ 60 लाख से अधिक लोग वैक्सीन लगवा भी चुके हैं। भारत विश्व में कोरोना वायरस के सक्रिय मामलों में 13वें स्थान पर है। कोविड-19 संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे प्रभावित देश है। कोविड-19 वायरस से मौत के मामलें में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नम्बर आता है। भारत में स्वस्थ होने की दर 97.89 फीसदी पहुँच चुका है। भारत में कोरोना वायरस से मृत्यु दर 1.44 फीसदी पहुँच गयी है। उत्तर प्रदेश में स्वस्थ होने की दर 98 फीसदी से भी अधिक पहुँच चुकी है। भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण एवं प्रयोग में सबसे पहले आत्मनिर्भर बनकर विश्व पटल पर उभरा है। भारत ने देश में बनी वैक्सीन को श्रीलंका, भूटान, मालद्वीव, नेपाल, बांग्लादेश, म्यामांर, सेशेल्स और मॉरीशस जैसे राष्ट्रों को उपहार स्वरूप वैक्सीन भेजी हैं। भारत का यह कार्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य के मामले में बेहद सराहनीय है। भारत ने आपदा के समय यह सिद्ध कर दिया है कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का सच्चा मित्र है। तभी तो भारत की ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ को लेकर अमेरिकी मीडिया
जगत् में जमकर तारीफ हो रही है।
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About the Author
गोविन्द कुमार सक्सेना Govind Saxena विगत कई वर्षों से उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में अधिवक्ता के रूप में अपनी सेवाएँ अर्पित कर रहे हैं। सेवा के अपने महत्वपूर्ण कार्यकाल की अवधि में इन्होंने ‘राज्य विधि अधिकारी’, ‘स्थायी अधिवक्ता’, ‘अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता’, ‘अपर शासकीय अधिवक्ता-प्रथम’ के पदों पर रहते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते रहे हैं।
‘प्रयाग गौरव सम्मान-2010’ से सम्मानित तथा गंगा नदी को स्वच्छ, निर्मल, अविरल बनाने हेतु किये जाने वाले जन-जागरण अभियान में सक्रिय भागीदारी के साथ ही इसके संचालन के महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करने हेतु ‘गंगा दूत सम्मान-2011’ से सम्मानित किये गए है ।
एक लेखक के रूप में गोविन्द कुमार सक्सेना Govind Saxena, की उपलब्धियाँ अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। इनकी प्रमुख पुस्तकों में ‘प्रयाग महाकुम्भ-आस्था का उत्सव-2002’, ‘हस्ताक्षरों का राज’, ‘प्रयाग अर्धकुम्भ-2019’, ‘कुम्भ विज़न-2025’ ‘भारत में कोरोना वायरस महामारी’ सहित, अंगे्रजी भाषा में लिखी गयी Corona virus Pandemic in India, Implications of Judicial Activism on Indian Judiciary an Analysis , ‘Sexual Harassment of Women at Workplace, An overview’
1. हिन्दी विधिक सेवा सम्मान पत्र 2018-19 द्वारा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, इलाहाबाद
2. प्रयाग गौरव सम्मान- 2010
3. नार्थ इंडिया फिल्म एंड टेलीविज़न अवॉर्ड- 2011
4. गंगा दूत सम्मान- 2011
5. नागरिक सेवा सम्मान- 2013
6. मानवता सेवा सम्मान- 2016
7. सर्जना सम्मान- 2020
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