मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 102भजन करुं तेरो, मेरे हृदय बसो हे राम……भजन करूं तेरो, मेरे हृदय बसो हेRead More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 96उन्मत होना’ पथ पर ध्येय नहीं……..उन्मत होना’ पथ का ध्येय नहीं। मानवRead More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 102अधिक तीव्र प्रज्वलित किए आशा के दीप…..अधिक तीव्र’ प्रज्वलित किए आशा के दीप”Read More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 104मूर्धन्य’ जीवंतता का वह……मूर्धन्य’ जीवंतता का वह प्रथम लक्ष्य। सहजताRead More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 101प्रेम रस” मंजिल सुधी रखूं सहेज……….प्रेम रस” मंजिल सुधी रखूं सहेज। मर्यादाRead More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 93अंधकार” मोह का जाल हृदय में लिपटा”……..अंधकार” मोह का जाल हृदय में लिपटा”Read More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 101अति गाढो चटकारो है प्रीति को रंग’…..श्रृंगार” रस कविता अति गाढो चटकारो हैRead More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Blog Articles 95हथियारों की होड़ ….आपस में संघर्ष और अहं का टकराव……आज चर्चा करेंगे हथियार और युद्ध की।Read More...
मदन मोहन'मैत्रेय'Poem 99वेदना’ हृदय पर घात करे’ प्रतिघात करें…..वेदना’ हृदय पर घात करें’ प्रतिघात करेंRead More...